किस्सा बर्खास्त


किस्सों को बर्खास्त करने में मेरी भूमिका हमेशा चुप्पी की ही रही. आधे से ज्यादा मौकों पर न बोल पाने की भरपाई करने के लिए चोर दरवाजा हमेशा लिखना ही रहा.


छोटी बातों से ज्यादा खुश हो जाते हैं. मैं इस मामले में ज्यादातर के पाले में रहा. लेकिन उस तरफ भी खूब रहा, जहां छोटी छोटी बातें बुरी लगती हैं.

फिर वो बात चाहे अपने लिए हो या किसी और के लिए. जो अपने हैं वो मेरी इस कमी से वाकिफ होंगे. सबसे अच्छी वजह वो होती है, जो बेवजह होती है. दुनिया यूं भी चल सकती है, सिर्फ अपनी खुशी के लिए! मैं या कोई भी, लाइफ में कुछ करता है या नहीं कर पाता है.

इससे उसके छोटे या कथित 'बड़े होने' का पता नहीं चलता. इच्छाओं और ज़रूरतों के बीच भी एक दुनिया होती है, जहां मन की चलती है. आप बस उस मन के करे हुए में मुंडी घुसाकर आंख गड़ाकर वजह मत खोजिए, मन खिन्न होता है.

खाली बाल्टी कुंए से सिर्फ पानी लेने ही नीचे नहीं जाती है, वो ऊपरी सतह को चूमकर तनिक खिलंदड़ करना भी चाहती है. आप सिर्फ भरी बाल्टी देखेंगे तो कुंए में हिलते पानी में जो खिलंदड़ हो रहा होगा, वो मिस कर देंगे. और आपकी वजह से खिन्न हुआ मन ऐसा भागेगा कि इक रोज आपके पास पानी से भरी बाल्टी तो होगी लेकिन प्यास नहीं बुझ पाएगी. ऐसे मिजाज वाले लोगों (कुछ के लिए चूतियाओं) का मन खिन्न न होए ये ख्याल अपने नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा?

लाइक/कमेंट से किसी इंसान की नाकाबिलियत या थोड़ी बहुत काबिलियत जज मत कीजिए. तय करने के अपने पैमानों को विस्तार दीजिए.

प्रगतिशील होना और होने का महज दावा करना दो अलग चीजें हैं. उम्र के साथ दिल भी बड़ा कीजिए. एक मन आप कई बार खिन्न करेंगे तो अगली बार धड़ तो आपसे मिल लेगा, मन बस कड़वा सा सब रिवाइज़ कर रहा होगा.

यहां मन की तरह सब स्पष्ट है. मेरी नज़रों में मेरे कुछ न करने को और आपकी नज़रों में मेरे कथित 'कुछ करने को' जबरन मेरे मन से या बेवजह की चीजों से मिक्सअप मत कीजिए. बहुत जल्दी जो छोटी बात से प्यार उमड़ता है, वो बिदक जाता है.

तब जबकि मैं झूठ जानते हुए भी किसी के कह भर देने से सच मान लेता हूं.

दूसरों के मन से इरादतन या गैरइरादतन जो चीज़ निकली हैं, अपना कीमती वक्त एटलीस्ट उस में तो ज़ाया मत कीजिए. या फिर ऐसे ही चलती है इधर या आपकी दुनिया तो कोशिश करूंगा कि ये शटर अब बंद रहे!

किस्सा बर्खास्त.

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