'इतिहास जला डालेंगे. जी हुज़ूर.'
संजय, मुझे दिखाई नहीं दे रहा. आगे की लीला तुम सुनाओ, पूरा हाल तुम बताओ.
मदद मांगने पर भी दोस्त की प्रेमिका को जो न बचाए वो राजपूत.
'जब वी मेट' वाला शाहिद दाढ़ी बढ़ाकर 'वो राजपूत, ये राजपूत..'
अब तो सारा देश है राजपूत
गाइज़, मीट माय वाइफ मीरा राजपूत.
पति से मोतियों के लिए ज़िद नहीं करनी चाहिए, वरना फिर ढाई घंटे की फ़िल्म बनानी पड़ती है. श्रीलंका से पद्मावती इंडिया आती है, तो रस्ते में राजस्थानी बोलना और रीति रिवाज़ सीख लेती है? क्रैश कोर्स. 100 फीसदी करणी सेना में प्लेसमेंट.
गंगाजी और आलिया जी के बाद किसी से पवित्रता बहती है तो वो दीपिका की आंसू गिरने से पहले की लाल आंखें हैं. प्यार किन चंद पलों में होता है- इसे जानने के लिए कोई रिसर्च न करें, दीपिका की लाल पनियल आंखें दिल लगाकर देख लें. अपनी-अपनी प्रेमिकाएं याद आ जाएंगी. और लड़कियों को याद आएगी प्रेमियों की नाक.
CREDIT: VIACOM 18 |
कैन वी सम भीड़ प्लीज?
याह स्योर.
देन आक्रमण.
बॉस के सीने पर तीर गड़े हों तो फाइनल डायलॉग के बाद हे राम सुनने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए. अटैक मांगता है. वरना खिलजियों की सेना इतनी दूर बर्गर और मोमोज़ का स्टॉल लगाने तो गई नहीं है कि खड़ी रहेगी, ग्राहकों के इंतज़ार में.
इंतज़ार... अदिति राव हैदरी. वज़ीर में फरहान अख्तर से कहती है- खा लो ना. पद्मावत में यही बात अदिति से कहने का दिल करता है- अदिति, खा लो ना.
अदिति राव हैदरी...नायाब. ताबीज़ में छिपाकर पहनने लायक.
हिंदी फीचर फिल्म पद्नावत. सही इतिहास इतना पढ़ने का शौक है तो जाओ पहले उस प्रधानमंत्री के साइन लेकर आओ , जिसने सिकंदर की सेना को गंगा पार करवाकर बिहारियों से लड़वा दिया था. जाओ पहले उस आदमी के साइन लेकर आओ, जिसने तक्षशिला को बिहार में बता दिया था. 'तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए.'
जिसका सर कट जाए, फिर भी धड़ लड़ता रहे. वो राजपूत? नहीं बहिन, वो इतिहास.
पद्मावत सच्ची घटनाओं पर आधारित है. दिल्ली में लड़कियों के हॉस्टल के बाहर कुछ दर्शक मास्टरबेट करते आए रोज़ नज़र आते हैं. राजा रवल रतन सिंह और पद्मावती के सुहागरात के सीन में ठरकी ब्राह्मण भी तो चुपचुप वही काम कर रहा होता है. पद्मावत मास्टरबेट की सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म है. करणी सेना ने बस ये साबित करने की कोशिश की कि वो कमज़ोर नहीं हैं.
सारी लड़ाई करने के बाद खिलजी पद्मावती को देखते-देखते चूक जाता है, इसे ही दिल्ली के शास्त्रों में 'खलंपध' अर्थात KLPD कहा गया है.
तो जइसे अलाउद्दीन खिलजी के दिन बहुरें
जइसे करणी सेना के बहुरें
जैसे अच्छे दिन के दिन बहुरें
वैसे तुम सबकै दिन बहुरें....
'हमला तब किया जाएगा, जब वो नमाज़ पढ़ रहे होंगे.' हैं?
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें