देवियों और सज्जनों, तुम आ गए हो नूर आ गया है.
आजा आजा ज़िंदगी शामियाने के तले, आजा ज़री वाले आसमान के तले इस उड़ान सेवा में आपकी जय हो!
आसमां में तैरती सुफ़ेद टुकड़ियों पर पहुंचने से पहले सांसों की ज़रूरतों के उसूलों को सुन पाए, तो ज़िंदा हो तुम. क्योंकि तुम हो तो गाता है दिल, तुम नहीं तो क्या है यहां?
ख़ामोश सी है ज़मीन और हैरान सा फलक है, तो समझ लें कि हुई लैंडिंग और टेकऑफ...ये इलैक्ट्रॉनिक सामान खोलने का वक़्त है.
आपका कुछ छोटा सामान हमारे पास पड़ा है, वो सामान ऊपर रख दें. इस विमान सेवा में सिगरेट, बीड़ी न जिगर से जलाएं और न ही लाइटर से. क्योंकि छोड़ आए हम वो गलियां, जहां माचिस की तिल्ली जलाकर एस्ट्रे में बुझाई जा सकती है.
इस लोहे के परिंदे विमान में....
एक
दो
तीन
चार
पांच
छह
सात
आठ...
जी हां आठ दरवाज़े हैं.
चार दरवाज़ें, उस तरफ़ जहां मुड़ें तो कजरारे नैनों वाली यादें पर्सनल से सवाल करती हैं....यानी पीछे की तरफ़ और चार दवाज़ें, उस तरफ़ जहां खड़ी एयरहोस्टस से ज़ालिम नज़र हटा ले... यानी आगे की तरफ.
दिल के रास्ते में हमने ठोकर है कैसी खाई, यही सोचकर निकास द्वार तक हमने धीमी रौशनी है जलाई.
घर पर होगी नन्ही बेटी, फिलहाल बांध लो सीट की पेटी. एक लो एक मुफ़्त. इन दोनों सिरों को बांधने के लिए मेरे यार मिला दे साइंया... दिलदार मिला दे साइंया.
हवाई अड्डे से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही. रास्ते में गुरु भाई गुरु भाई ओ गुरु, खाने-पीना लाएगा अपना केबिन क्रू. अगर तुम कहो ये पलकें बिछाएँ... अगर तुम कहो.
कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है, पर चुपके से आपातकालीन स्थिति पलती है. इसलिए ऑक्सीजन मास्क साथ हैं. जब तक है जान, जाने जहां ये ऑक्सीजन छोड़ेगा..आ.... आ...आ.
जब ऐसा लगे कि जो ना हुआ होने को है तो समझ लें टर्बुलेंस है. विमान की बादल में हैं ज़ुल्फ़ें, बिजली में जब होगी अंगड़ाई... समझ लेना तब केबिन से हवा हुई हवाई...हवा हवाई.
चेहरों के नकाब उतरें न उतरें लेकिन तब ऑक्सीज़न मास्क उतर आएगा. रूह जब छुए मौत की खुशबू और ऑक्सीजन मास्क नाक के पास आए तो तुम्हें सांस आए, मुझे सांस आए.
ख़ुद भी लगाएं और बगल में कोई जंगल-जंगल बात चली हो और पता चलो हो कि चड्डी पहनकर कोई फूल खिला हो तो उसे भी ऑक्सीजन मास्क लगाएं.
बार, बार हां बोलूं यार हां... आपातकालीन सीट हो तो पढ़ लें निर्देश हां. मौत ज़िंदगी से जीत न पावे, पढ़े चलो.. पढ़े चलो.
ऐसी ही किसी आपातकालीन स्थिति में विमान पानी में उतरे तो याद रखें. एक नदी थी दोनों किनारे थाम के चलती थी, एक नदी थी. आप भी रक्षा जैकेट थामकर चलें. ख़ुद से ये कहते रहें कि मैं जहां रहूं, मैं कहीं भी रहूं... रक्षा जैकेट साथ हो. ताकि ज़िंदगी की नैया डूबे ना.. ओ नैया डूबे ना.
दिल घूम घूम करे तो ऊपर लगा बटन दबाने में संकोच न करें.
क्योंकि हम सब मुसाफिर हैं यारों, न घर है न ठिकाना. हमें बस उड़ते जाना है, बस उड़ते जाना. जय हो!
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