'Enjoy the original.'
मेरे फेवरेट ए आर रहमान के इन तीन शब्दों के सच को सबसे ज़्यादा जीने की ज़रूरत है. हम सबको और ख़ुद रहमान को भी. अब जब दिल्ली-6 के बड़े प्योर से पिचराइजेशन वाले प्यारे गाने मसक्कली का कत्ल हो चुका है. रहमान को गुस्सा आ चुका है. ये ज़रूरी ज्ञान दोहराया जा चुका है कि इंजॉय द ओरिजनल.
ठीक तभी मेरा 'ओके जानू' कहके आगे बढ़ने का दिल नहीं कर रहा. क्योंकि 'ओके जानू' फ़िल्म में रहमान ख़ुद ओरिजनल 'हम्मा, हम्मा' का 'कत्ल' कर चुके हैं. वरना बॉम्बे फ़िल्म में हमारी 'डोंट माइंड' सोनाली बेंद्रे और मनीषा कोइराला वाली उन्नत किस्म की 'हम्मा, हम्मा' रूमानियत की कोई बराबरी नहीं कर सकता. हैदर फ़िल्म में पूरी क्यूटता के साथ कश्मीरी ज़ुबां में 'यू फकड मी' कहने वाली श्रद्धा कपूर भी नहीं.
भले ही 'ओके जानू' फ़िल्म में इस गाने के आने से पहले बैकग्राउंड में पूरी भूमिका रची गई हो कि 'so this song from Badshah, dedicated to one and only AR Rahman. Here's the new track.'
अपने पुराने ट्रैक 'हम्मा, हम्मा' को न्यू ट्रैक में खुद रहमान ही लाए थे. तब भी काफी मेहनत रही होगी. रातों को लोग जागे होंगे. खुद के ओरिजनल को री-क्रिएट करना ओरिजनल को भुनाना या हटाना भर ही है. तब परमिशन वाला इश्यू भले ही न हो. लेकिन इंजॉय द ओरिजनल वाली लाइन झूठी लगने लगती है. क्योंकि ऐसी 'चोरियों' को आपने भी पाला-पोसा ही था.
अपने ओरिजनल को ओरिजनल न रहने देना रहमान ने भी किया है. तब भी यही तनिष्क थे, अब भी यही सिंगर तनिष्क हैं.
टी-सिरीज़ और रहमान एक दूसरे से कह सकते हैं- ''एक हो गए हम और तुम. और उड़ गई नींदें रे.'' ओरिजनल ग़ज़ल की लाइनों पर डिस्को किया जाए या मुजरा किया जाए, दोबारा (रीमिक्स) किया जाना ही Don't Enjoy the original को बढ़ावा देना है.
2007 की गुरु फ़िल्म के गाने में सुनाई दी ट्यून को 2008 की स्लमडॉग मिलेनियर में सुनना, किसी एक का दूसरी से इंस्पायर होना कहलाया जा सकता है. लेकिन काम वही करिए न जो कोई दूसरा 'परमिशन के साथ अगर करता है' तो बुरा न लगे. तब इंजॉय द ओरिजनल वाला टंटा न कहना पड़े.
दिक्कत ये है कि ओरिजनल की ये सारी बौद्धिक चोरियां हिट्स में ओरिजनल को कहीं पीछे छोड़ देती हैं. चोरियां ही अटूट सत्य बन जाती हैं. फिर इन्हीं हिट्स के आधार पर भविष्य तय होता है. मसलन आठ साल में मसक्कली के 22 मिलियन views हैं और चोरी वाले मसक्कली ने दो ही दिन में 20 मिलियन Views बटोर लिए. मोरल ऑफ द स्टोरी क्या निकला? यही कि ये हिंदुस्तान है और यहां रूप की रानी होती है और चोरों का राजा.
बाकी इन आंखों ने जबसे सुष्मिता सेन के 'दिलबर दिलबर' का कत्ल होते देखा है, तब से होश ना ख़बर है...ये कैसा असर है. चोरों से मिलने के बाद दिलबर...
अच्छी बात ये है कि आसमान हमेशा से इतना साफ रहा है कि सारी बौद्धिक चोरियां बहुत दूर से दिख जाती हैं.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें